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जीवन के दुखों से मुक्ति का उपाय
सम्यक दर्शन
सच्चे देव, शास्त्र और गुरु का तीन मूढ़ता रहित, आठ मद से रहित और आठ अंग सहित श्रद्धान करना सम्यकदर्शन है।
सम्यक ज्ञान
जो ज्ञान वस्तु के स्वरूप को न्यूनता रहित तथा अधिकता रहित, विपरीतता रहित, जैसा का तैसा, सन्देह रहित जानता है, उसे सम्यक् ज्ञान कहते हैं।
सम्यक चरित्र
संसार की कारण भूत बाहय और अंतरंग क्रियाओं से निवृत होना अथवा मन वचन काय से सम्यक दर्शन सम्यक ज्ञान पूर्वक विषय-वासना, हिंसादि पाप रूप अशुभ क्रियाओं का त्याग कर, शील व्रतादि रूप शुभ क्रियाओं को धारण करना ‘सम्यक्र चारित्र’ है।
बरसों जी का चमत्कार
श्री 1008 भगवान महावीर स्वामी की समोशरण स्थली बरासों का अति प्राचीन पावन इतिहास
मध्य प्रदेश प्रान्त के भिण्डनगर से लश्कर रोड से 20 कि.मी की दूरी पर स्थित है। अति प्राचीन अतिशय क्षेत्र बरासों जी में अति प्राचीन टीले पर स्थित देवों द्वारा बनाया गया जैन मंदिर विराजमान है। जिन श्रुति केवली के अनुसार श्री 1008 भगवान महावीर स्वामी का समोशरण विपुलाचल पर्वत (राजगृह) ही बरासों का क्षेत्र है जी में मिति आश्विनी क्वार कृष्ण दौज के दिन आया था। भगवान महावीर स्वामी का समोशरण एक बार नहीं यहाँ तीन बार आया था बताया जाता है कि जिसमें हजारों की संख्या में मुनिराज थे और तव यहाँ लगभग 700 परिवार जैन निवास करते थे । देवों ने स्मृति रूप एक रात में देवों पुनीत जिन मंदिर की रचना की थी यहाँ की मूलनायक जिन प्रतिमाओं पर कोई चिन्ह या प्रशस्ति नहीं है। सभी लगभग चतुर्थकालीन जिन प्रतिमाएं है। जो कि मनोहारी आकर्षण एवं अतिशयकारी है जिनके दर्शन मात्र से बिगडे काम बन जाते है। बरासों जी क्षेत्र सौन्दर्य से परिपूर्ण है। मंदिर जी के नीचे बहती हुई नदी, विश्व की सबसे बड़ी वेदी प्राचीनतम प्रतिमायें। ऐसा लगता है कि आगम की दृष्टिसे संसार का स्वर्ग यहीं पर बसा है।
Siteplan
न्यास के अन्तर्ग्रत निम्न परियोजनाएं प्रस्तावित है
- 351 फीट सुमेरु पर्वत की स्थापना
- सहस्र कूट जिनालय (1008 प्रतिमा जी) की स्थापना
- त्रिकाल चौबीसी की स्थापना
- 51 फीट की खड्गसन प्रतिमा जी
- तीस चौबीसी की स्थापना
- जिन मंदिर 24 फीट प्रतिमा सहित स्थापना
- 251 कमरों का यात्री निवास
- सन्त निवास
- भोजनशाला यात्रियो के लिये
- आहार शाला
- भोजनशाला
- बाक क्रिडा उद्यान
- जैन स्कूल, कॉलेज की स्थापना
- गोशाला
- अन्य व्यवस्थाएँ